मंगलवार, 31 मई 2016

फिर से सीवर निगल गया एक युवा ...

(ठीक से पढ़ने के लिए आप इस इमेज पर क्लिक कर सकते हैं, वैसे उस से भी होगा क्या!)
आज सुबह अखबार में यह खबर पढ़ कर बहुत कष्ट हुआ...लखनऊ में एक जगह सीवर की कोई शिकायत थी...सफाई कर्मी की तबीयत ठीक ना थी, २० साल का बेटा चला गया..सीवर में नीचे उतरा...वहां से चीखा कि मेरा दम घुट रहा है...रस्सी के द्वारा उसे बाहर खींचने की कोशिश हुई..अभागे के हाथ से रस्सी छूट गई..खत्म हो गया उसी समय जहरीली गैस की वजह से...बेहद दुःखद, अफसोसजनक ...।

खबर सुन कर बाप भी भागा...नीचे उतरा...उसे भी गैस चढ़ गई..बेहोश हो गया..बाहर निकाल लिया गया जैसे तैसे..बचा लिया गया उसे..

कितनी दुःखद बात है कि एक २० साल का हंसता-खेलता युवक लापरवाही की वजह से मारा गया...किस की लापरवाही?..उस युवक की तो नहीं कहेंगे...अगर उसने बेल्ट पहनी होती तो वह बच जाता, उसे बाहर खींच लिया जाता..

मैं सुबह सोच रहा था कि इन कामों में भी बहुत कुछ गोलमाल होता ही है ..मुझे नहीं पता मैंने कब किसी सीवर साफ़ करने वाले को सेफ्टी-बेल्ट पहने देखा था ..ताकि एमरजेंसी में उसे बाहर खींचा जा सके। सेफ्टी गेयर और उपकरण होते नहीं हैं, हर जगह भ्रष्टाचार के तार जुड़े हुए हैं...जुगाड़बाजी करने वालों का बोलबाला है...लोगों ने सुपरवाईज़र को वहीं पर धर-दबोचा लेकिन उस से वह २० साल का युवक तो वापिस नहीं आयेगा..

क्या यह लखनऊ में ही हुआ...नहीं, देश के हर शहर में हर कस्बे में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं...आए दिन..अखबार की सुर्खियां इस तरह की मौतों की सूचना देती रहती हैं...

लेकिन क्या है ना, हम कहां इस तरह की खबरों की परवाह करते हैं...पढ़ कर बुरा लगता है....बस चंद लम्हों के लिए..अगले पन्ने पर रणबीर और दीपिका का किस्सा देखते ही हम फिर उस में खो जाते हैं..

मुझे ऐसा लगता है कि इन सफाई कर्मियों के भी अच्छे दिन कुछ इस तरह के आएं कि इन्हें सीवर में नीचे उतरना ही ना पड़े ..और अगर कभी किसी हालत में ऐसा करना भी पड़े तो बिना बेल्ट और सभी तरह के सेफ्टी उपकरण के इन्हें नीचे उतरने ही न दिया जाए...

मुझे सुबह खबर पढ़ कर एक बेवकूफ-सा ख्याल यह भी आ रहा था कि अगर कोई सफाई कर्मी सेफ्टी उपकरण नहीं पहनना चाहे तो उसे नीचे जाने से पहले सुपरवाईजर को लिख कर देना चाहिए कि वह यह सब अपनी मर्जी से कर रहा है ....लेकिन तभी ध्यान आया कि ऐसा कैसे हो सकता है, इतनी बेरोजगारी है, घोर शोषण है, सस्ते में मिलने वाली लेबर यह भी लिखने के लिए सहमत हो जायेंगे....लेकिन यह ठीक नहीं है..

मैला ढोने देश में बंद हो गया है विज्ञापन बताते हैं, अब सीवर में भी सफाई कर्मी उतरने बंद हो जाने चाहिए...सब कुछ मैकेनिकल उपकरणों से हो जाना चाहिए...

इस तरह के आंकड़ें अगर इक्ट्ठा किए जाएं तो चौंका देंगे कि कितने सफाई कर्मियों की जानें इन सीवरों ने लील लीं...

कहने को बस इतना ही है कि इस तरह के केसों से पक्की नसीहत लेने की बहुत ज़रूरत है ...वरना ये लोग ऐसे ही मरते रहेंगे...मेरे जैसे पढ़े लिखे तथाकथित बुद्धिजीवी लोग चंद लम्हों के अफसोस से बाद अगले ही पल अभिषेक-ऐश्वर्या की पर्सनल लाइफ में झांकने को आतुर अखबार के अगले पन्ने पर पहुंच कर पिछली बात भूल जाते हैं...

आज मैं बहुत दुःखी हूं इस युवक के बेमौत मारे जाने से...ईश्वर इस की आत्मा को शांित प्रदान करे और मां-बाप को पहाड़ जैसा दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे...आप भी इस प्रार्थना में शामिल हो जाइए...


अभी मैं सुरों की इस अद्भुत देवी लता मंगेशकर जी को सुन रहा था तो ध्यान आया कि कुछ सिरफिरे लोग किसी को भी नहीं बख्शते...एक महामूर्ख प्राणी ने कल इस देवी का मज़ाक उड़ा दिया एक यू-ट्यूब वीडियो में.....है कि नहीं पिटाई खाने वाली बात! सब को सद््बुद्धि दे प्रभु!

मैला ढोने से जुड़ी कुछ धुंधली यादें मेरी भी हैं बचपन की ... इस लेख में संजो कर रखी हैं....लिंक यह रहा ..मैला ढोने की सुथरी यादें.

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